मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने के लिए 7 सुपर ब्रेन योग व्यायाम

7 Super Brain Yoga Poses

प्रतिदिन सुबह जब आप जागते हैं, तब आपके स्वास्थ्य की स्थिति ही दिनचर्या निश्चित करती है। शरीर की कोई भी बीमारी हमारे उत्साह को कमजोर कर देती है और रोज के काम को ठीक से करने में दिक्कत लाती है। बहुत से योग आसन हैं जो आपको स्वस्थ रखने में मददगार है खासकर शारीरिक रूप से परये तो बस एक पड़ाव है सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लक्ष्य की ओर। आपका मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही जरूरी है।

आपका मस्तिष्क रोज के काम को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आपकी प्रतिक्रिया की क्षमता, समझने की क्षमता, महसूस करने की क्षमता और फिर अच्छे से काम कर पाना, ये सब आपके मस्तिष्क की सेहत जुड़े हुए हैं।

कई बार हम ये समझ ही नहीं पाते है कि शरीर के और अंगो की तरह मस्तिष्क को भी प्रतिदिन पोषण और ऊर्जा की जरूरत होती है। जैसे शरीर को सही रखने के लिए शारीरिक व्यायाम आवश्यक है उसी तरह मस्तिष्क का व्यायाम बुद्धिमत्ता के लिए आवश्यक है। योग आसन हमारे शरीर के समग्र रूप से सहीकार्य करने में बहुत प्रभावी हैं।

मस्तिष्क के लिए- योग आसन और प्राणायाम

योग का विज्ञान शरीर की आन्तरिक शक्ति को जगाता है और जो शरीर को अधिक शक्तिशाली बनाता है और कार्यक्षमता को बढ़ाता है। ये संज्ञान शक्ति में तत्काल वृद्धि का कारक भी हो सकता है। ये तनाव से मुक्त करता है और मस्तिष्क के द्वारा संचालित सभी महत्वपूर्ण क्रियाओं के संचालन में मदद करता है। जैसे बायीं नासिका से श्वास लेने पर दाहिना मस्तिष्क सक्रीय होता है और दायीं नासिका से श्वास लेने पर बयां मस्तिष्क सक्रीय होता है।

सुपर ब्रेन योग के लाभ 

  • सुपर ब्रेन योग से आपके कर्ण पल्ल्वों में उपस्थित एक्यूप्रेशर बिंदु सक्रीय होकर आपके मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाते हैं। इस व्यायाम से मस्तिष्क को लाभ पहुँचता है
  • दाएं और बाएं मस्तिष्क में समन्वय लाकर
  • शरीर में ऊर्जा का उचित वितरण कर और शांत करना 
  • सोचने की क्षमता को बढ़ाना 
  • मानसिक ऊर्जा को बढ़ाना 
  • रचनात्मकता को बढ़ाना 
  • संज्ञान शक्ति को बढ़ाना 
  • एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाना 
  • निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि करना 
  • तनाव को कम करना 
  • मनोवैज्ञानिक रूप से स्थिर करना 

ये मस्तिष्क के व्यायाम विभिन्न मानसिक रोगों जैसे अल्झाइमर, अवसाद, अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD), डाउन सिंड्रोम, आटिज्म, और डिस्लेक्सिया आदि में मरीजों को काफी सहायक रहे हैं। इन व्यायाम के बाद आप एक निर्देशित ध्यान भी कर सकते हैं।

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