जल नेति की क्रिया क्या है
जलनेति एक महत्वपूर्ण शरीर शुद्धि योग क्रिया है जिसमें पानी डालकर नाक की सफाई की जाती जो आपको प्रदूषण सर्दी जुकाम इत्यादि से बचाता है। जलनेति में नमकीन गुनगुना पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पानी को नेति लोटा से नाक के एक छिद्र से डाला जाता है और दूसरे से निकाला जाता है। फिर इसी क्रिया को दूसरी नासिका छिद्र से किया जाता है। जलनेति एक ऐसी क्रिया है जिसमें पानी से नाक की सफाई की जाती है और नाक संबंधी बीमारीयों से आपको छुटकारा मिलता हैं। जलनेति दिन में किसी भी समय की जा सकती है। यदि किसी को जुकाम हो तो इसे दिन में कई बार भी किया जा सकता है। इसके लगातार अभ्यास से यह नासिका क्षेत्र में कीटाणुओं को पनपने नहीं देती। वैसे योग विशेषज्ञ का कहना है की इसे सप्ताह में एक बार करना चाहिये |
जल नेति क्रिया के लाभ
• जल नेति क्रिया श्वसन प्रणाली को ठीक करता है।
• जल नेति क्रिया अस्थमा रोगियों के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है।
• जल नेति क्रिया को नियमित करने वाले व्यक्ति आंखों, कानों और नाक के संक्रमण से बचे रहते हैं।
• जल नेति क्रिया ब्रोंकाइटिस रोगियों के लिए लाभकारी होती है।
• जल नेति क्रिया करने से माइग्रेन की समस्या भी धीरे-धीरे दूर हो जाती है।
• मस्तिष्क की ओर से एक प्रकार का विषैला पदार्थ नीचे की ओर बहता है। यह पदार्थ शरीर के जिस भाग की तरफ बहता है उसी को रुग्ण कर देता है आँखों की तरफ जाये तो आँखों का तेज कम हो जाता है, चश्मे की जरूरत पड़ती है तथा अन्य रोग होते हैं। । यह पदार्थ गले की ओर जाये तो गले के रोग होते है ,नियमपूर्वक जलनेति करने से यह विषैला पदार्थ बाहर निकल जाता है। आँखों की रोशनी बढ़ती है। चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती। चश्मा हो भी तो धीरे-धीरे छूट भी जाता है। श्वास (नासिका छिद्र ) का मार्ग साफ हो जाता है। मस्तिष्क में ताजगी रहती है। जुकाम-सर्दी होने के अवसर कम हो जाते हैं। जलनेति करने वाले को बहुत लाभ होते हैं। चित्त में प्रसन्नता बनी रहती है। मस्तिष्क की गर्मी शांत होकर मस्तिष्क ठंडा होता है।
• आँखों का चश्मा छूट जाता है।
• बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
• सफेद बाल काले हो जाते है।
• स्मरण शक्ति तेज होती है।
• मुहांसे निकलने बंद हो जाते है।
• जुकाम खांसी सिर दर्द अनिद्रा तथा अन्य कई रोगो में यह क्रिया फायदेमंद है।
• कई तरह के नशे की आदत छूटने लगती है।
• झुंझलाहट तथा क्रोध आना स्वतः ही कम हो जाता है।
जल नेति क्रिया विधि
वैसे साधारण तोर पर लोग जलनेति से घबराते हैं लेकिन इसको करना बहुत आसान है। आइये हम आज आपको जलनेति कैसे किया जाए इसका सरल तरीका बताएँगे। तो जानिए जलनेति की विधि जिसके मदद से आप अपने घर पर इसका अभ्यास कर सकते हैं।
• सबसे पहले आप वैसा नेति लोटा या नेतिपॉट(टोंटी दार लोटा ) लें जो आसानी से आपके नाक के छिद्र में घुस सके।
• नेति लोटा में आधा लीटर गुनगुना नमकीन पानी और एक चम्मच नमक भर लें।
• अब आप कागासन में बैठें।
• पैरों के बीच डेढ़ से दो फुट की दूरी रखें।
• कमर से आगे की ओर झुकें। नाक का जो छिद्र उस समय अधिक सक्रिय हो, सिर को उसकी विपरीत दिशा में झुकाएं।
• अब आप नेति लोटा की टोंटी को नाक के सक्रिय छिद्र में डाल लें।
• मुंह को खोल कर रखें ताकि आप को सांस लेने में परेशानी न हो।
• पानी को नाक के एक छिद्र से भीतर जाने दे तथा यह दूसरे छिद्र से अपने आप बाहर आने लगेगा।
• जब आधा पानी खत्म हो जाने के बाद लोटा को नीचे रख दें तथा नाक साफ करें। दूसरे छिद्र में भी यही क्रिया दोहराएं, नाक साफ कर लें।
जलनेति करने के लिए जरूरी सावधानियां
• जलनेति में सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है। पहले पहले यह क्रिया किसी योग विशेषज्ञ की मौजूदगी में ही करनी चाहिये ।
• जलनेति के बाद नाक को सुखाने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम किया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि इसीसे नाक में अटका हुआ पानी बाहर निकलता है । नाक का एक छिद्र बंद कर भस्त्रिका करें और दूसरे छिद्र से उसे दोहराएं और उसके बाद दोनों छिद्र खुले रखकर ऐसा करें।
• नाक को सूखने के लिए अग्निसार क्रिया भी की जा सकती है।
• नाक को ज्यादा जोर जोर से रुमाल से नहीं पोछना चाहिए क्योंकि इससे पानी कानों में जा सकता है।
• पानी और नमक का सही अनुपात होना चाहिए क्योंकि बहुत अधिक अथवा बहुत कम नमक होने पर जलन एवं पीड़ा होने की सम्भावना हो सकती है।
• इस योग क्रिया को करते समय मुंह से ही सांस लेनी है यह बात आपको विशेष रूप से याद रखनी है ।